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आज जब भारत पर आई.एस जैसे आतंकि संगठनो की बुरी नज़र है । वे इस फिराक मे है कि कब मौका मिले और भारत मे आतंक की एक नई वारदात को अंजाम दे । उस वक़्त भी इस देश के कुछ राजनेता , धर्म की राजनीति मे अपनी रोटी सेंकने पर लगे है । आश्चर्य की बात है ! इस वक़्त, जब इन राजनेताओ को देश की सुरक्षा और आतंकवाद से लड़ने के बारे मे सोचना चाहिये। उस वक़्त ये धर्म के ठेकेदार हिंदु आतंकवाद और मुसलिम आतंकवाद का एक नया बवाल देश मे पैदा कर रहे है । क्या ऐसा करना देश की सुरक्षा और शांति व्यवस्था मे खलल पैदा करना नही है ?
अभी कुछ रोज़ पहले यानि 27 जुलाई को पंजाब के गुरदासपुर मे हुए आतंकि हमले मे अगर पुलिस नही होती , तो क्या ये धर्म के ठेकेदार आतंकियो से लड़ने को सामने आते ? आखिर उस वक़्त कहा थे ये धर्म के ठेकेदार ? धर्म के ये ठेकेदार 26 नवम्बर 2008 को कहॉ थे ? जब मुम्बई मे आतंकियो ने देश के मासूम लोगो को मौत के घाट उतारा । उस वक़्त ना तो कोई मज़हब उन मासूमो को बचाने आया और ना ही किसी धर्मगुरू को ही इन मासूमो की सुध थी । अगर कोई आतंकियो को मार गिराने को सामने आया तो वो सिर्फ देश की सेना थी । जिनका एक मात्र धर्म देश की सुरक्षा है । देश की सेना को मेरा सलाम !!!!!!
और धर्म के ठेकेदारो अगर तुम अपने लोगो को मुसिबत से बचा नही सकते, तो उन्हे धर्म के नाम पर भटकाने की आदत भी छोड़ दो । जनता की सुरक्षा के लिये हमारी सेना है । तुम तो बस इतना करो कि अपने दिमाग को साफ करो और देश हित मे इसका इस्तेमाल करो । ताकि देश मे शांति और सदभावना की भावना हमेशा बनी रहे ।
आशा है कि धर्म के ये ठेकेदार अपनी आदत छोड़ देगे और देश को एकल और अखंड बनाने मे देश के साथ होंगे !
जय हिंद !!!!!!!!!!!!!!
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