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देख ऐ खुदा तेरे बंदों के जनाजे में, ये कौन लोग आए हैं।
सर पर टोपी तन पर सफेद कपड़ा, इन्होंने चढ़ाए हैं।।
जिन्हें सुध ना होती है पड़ोसी की, वो पड़ोसी राज्य में शोक जताने आए हैं।
मुख लटका तो इनका भी है, पर दूर तलक यहां कुछ सोच कर तो आए हैं।।
है चेहरे पर शोक मग्न मुखौटा, बातें फायदे की ये करते हैं।
गर मिलजाए कोई माइक, छाती पीट-पीट कर शोक जताते हैं।।
आए तो हैं किसी के जनाजे में, लेकिन बातें कुछ और ये करते हैं ।
मौत पर इन मासूमों के, लाखों का ऑफर करते हैं।।
कह दे इनसे ऐ खुदा, चले जाएं ये अपने महफिल में।
ये जनाजा है किसी गरीब का, जहां इन जैसों की सांसे फूलती है।।
गर सच में है संवेदना दिल में, तो क्यों मौत पर सियासत करते हैं?
गर चिंता है इन तमाम मौत की, तो फिर चीजों को क्यों नहीं बदलते हैं?
बहुत देखें हैं, ऐसे पोशाक धारी किसी के जनाजे में।
जो आते हैं और मातम मना कर कहीं ग़ायब हो जाते हैं।।
देख ऐ ख़ुदा तेरे बंदों के जनाजे में, ये कौन लोग आए हैं?????
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